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हँसनि में फूलनि की चाहनि में अमृत की
हँसनि में फूलनि की चाहनि में अमृत की,नखसिख रूप ही की बरषा-सी होति है।
ध्रुवदास
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अमृत जस जुग लाल कौ
अमृत जस जुग लाल कौ, या बिनु अँचौ न आन।मो रसना करिबो करो, याही रस को पान॥